Monika garg

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खता क्या थी मेरी ?

गतांक से आगे.….
                     जल्दी-जल्दी कदम बढ़ा कर ठाकुर साहब उसी चबूतरे पर पहुंचे जहां कनक से उस की आपबीती जानने का वादा कर के आये थे। कनक पहले से ही वहां बैठकर उनका इंतजार कर रही थी।जैसे ही उसने ठाकुर को देखा  दौड़ कर उनके पास गयीबोली,"दादू आप आ गये ।"ठाकुर साहब बोले,"कैसे ना आता बिटिया तूने रिश्ता ही ऐसा बना लिया है अब तो तुझे इस घुटन से आजाद कराकर ही दम लूंगा।अब बता क्या हुआ तेरे साथ?"कनक और ठाकुर साहब उस चबूतरे पर आमने-सामने बैठ गये कनक फिर से पुरानी यादों में खो गई "मैने बताया था ना की छोटी मां मुझे घर से निकलने नहीं देती थी बाहर की दुनिया क्या होती है ये मैंने कभी जाना ही नहीं ।रमा छोटी मां के कहीं जाते ही बाहर चली जाती थी पीछे से मेरे मन में धुकधुकी लगी रहती थी कि कभी मां आ गयी तो मेरी जो गत बनाती ये मैं ही जानती हूं।रमा के कारण मैनें मां की बहुत मार खायी थी।
    एक बार छोटे मामा पर किसी ऊपरी छाया का प्रभाव हो गया था मामा बहुत बीमार हो गये थे छोटी मां को अपने गांव जाना पड़ गया बड़ा भाई तो नौकरी के कारण बाहर ही रहता था मां छोटे भाई को अपने साथ ले कर मामा के यहां दस पंद्रह दिन के लिए चली गयीँ ।सारे घर की जिम्मेदारी मुझ छोटी सी जान के ऊपर छोड़ कर मां अपने मायके चली गयी। पिता जी तो सुबह जाते थे काम पर और रात देर से ही आते थे ।दादू!कहते हैं जब मां दूसरी आ जाती है तो बाप तीसरा हो जाता है।मेरे पिता को भी मेरा दुःख दिखाई नहीं देता था या फिर घर में कलह ना हो इस कारण देखकर भी मां के अत्याचार को देख कर चुप रहते थे। हां छोटी मां के मायके जाने के बाद ये जरूर कह दिया था कि बिटिया रात को मेरे कारण देर तक मत जागना मेरा खाना बनाकर रख देना। मैं अपने आप खा लूं गा।मेरा घर आने का कोई एक टेम नहीं है। लेकिन फिर भी कनक अपने पिता के लिए जागती थी।
      एक दिन पिता के घर से जाने के बाद जैसे जब मैं घर का सारा काम करके थोड़ा सुस्ताने बैठी तो रमा आकर बोली,"क्या दीदी तुम सारा दिन घर में रह कर ,घर का काम कर करके उकताती नहीं हो।चलो आज बाहर चलते हैं आज तो मां भी नहीं है ।"मेरा बाल मन भी बाहर की दुनिया देखने का करने लगा आखिर मैं रमा से दो साल ही तो बड़ी थी।मेरा मन बाहर जाने का कर तो रहा था पर ऊपर से नक़ली का गुस्सा दिखाकर रमा से बोली,"ना रमा छोटी मां तुम्हारी जिम्मेदारी मुझे सौंप कर गयी है ऐसा नहीं करते।"मेरे इतना कहते ही रमा बोली ,"क्या दीदी मां कल ही तो गयी हैं।इतनी जल्दी वापस नहीं आयेगीऔर मां को कैसे पता चलेगा के हम बाहर गयी हैं।"मुझे भी उसकी बात समझ आ गयी हम दोनों जल्दी से तैयार हो कर बाहर चल दी ।उस दिन मैंने अपना सुर्ख लाल रंग का रेशमी सूट पहना । भगवान हमेशा उसी को रंग रूप देता है जिस के पास बाल संवारने का भी समय ना हो ।जब मैंने लाल रंग का सूट पहन कर बाल बनाये रमा एकदम मेरे पास आकर बोली,"दीदी ऐसे क्यूं नहीं रहती हमेशा। मैं शरमा गयी ।हम दोनों जब घर से बाहर निकलें तो पता चला गांव में मेला लगा है ।एक तो मेरा घर से बाहर पहला कदम दूसरा मेला लगा था गांव में मुझे तो जैसे एक दिन में सब कुछ मिल गया ।हम दोनों बहनें घुमते घामते मेले में पहुंच गए।रमा तो पहले भी बहुत बार घर से बाहर जा चुकी थी पर मेरे लिए सब कुछ नया था। मुझे तो सब कुछ सपनों जैसा लग रहा था ।पर मुझे क्या पता था कि जिंदगी का एक नया मोड़ मेरी प्रतीक्षा कर रहा है.मेला अपने पूरे रंग में था।मैं बावरी क्या जानूं कहा जाना है ।रमा बार बार मुझे समझा रही थी दीदी यहां नहीं यहां चलेंगे।उस दिन मुझे पता चला कि रमा हर बात में मुझे से ज्यादा ज्ञान रखती थी।छोटी मां ने तो मुझे कुएं का मेंढक बना कर रखा था घर और घर का काम यही मेरी जिंदगी बना रखा था बाहर की दुनिया मुझे जुगनू की तरह चमचमाती लग रही थी।मेले में हर ओर चहल-पहल थी।गोल झूला ,मदारी का खेल,जादू का खेल,तरह तरह के ठेलों पर चाट पापड़ी,जलेबी और ना जाने क्या-क्या मिल रहा था ।छोटी मां के कारण जो चीजें मेरे लिए दुर्लभ थी उस दिन सब एक चुटकी में मेरे सामने हाजिर थी।
     मुझे याद है एक बार घर में बड़े भाई छुट्टी में घर आये थे उस दिन बाजार से गोल गप्पे,दही पापड़ी चाट ले कर आये थे ।पर छोटी मां ने मुझे कुछ भी नहीं दिया खाने को । बड़े भाई को गुस्सा तो बहुत आया पर छोटी मां के कलह के डर से चुप रहे।मेले में मैं हर चीज छू सकती थी ,खा सकती थी।पैसे रमा के पास थे मायके जाते समय छोटी मां ने रिश्वत के तौर पर रमा को दिये थे ताकि वह पीछे से आराम से रहे। हम दोनों बहनों ने जो दिल में आया सब खाया फिर रमा गोल झूले पर झूलने की जिद कर रही थी मैं उसे बार बार मना कर रही थी मुझे उस झूले को देख कर ही डर लग रहा था बहुत ही ऊंचा था पर रमा नहीं मानी और झूलने चली गयी ।जैसे ही वह झूले पर बैठी वह जोर से चरमराया मेरा कलेजा मुंह को आ गया । मैंने जोर से आवाज लगाई,"रमा ध्यान से ।देखो गिर मत जाना।"वह भी मस्ती में बोली ,"नहीं दीदी नहीं गिरूंगी।"मैं काफी समय से देख रही थी कि किसी की नजरें लगातार मेरा पीछा कर रही थी ।जब मैंने रमा को आवाज लगाई तो मुझे लगा जैसे पीछे से किसी ने कहा ,"माशाअल्लाह!सूरत के साथ सीरत पर भी हम तो फ़िदा हो गये।जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं दिखा।इतने में रमा जिस झूले पर बैठी थी वह जोर से हिला और एक तरफ से उस का पहिया निकल गया। मैं जोर से चीखा पड़ी क्यूं की रमा झूले पर अधर लटकी हुई थी। मैं ज़ोर ज़ोर से रोने लगी ।मेरा रोना देख कर भीड़ में से एक बांका जवान। कुर्ते पैजामा पहने ,हल्की नीली आंखें,मेरे पास आकर मेरा हाथ जोर से पकड़कर एक तरफ कर दिया बोला,"मोहतरमा आप इधर हो जाएं नहीं तो झूला आप पर गिर सकता है और रही आप की बहन की बात ,आप रोए नहीं मैं बचा कर लाऊंगा उसे।"मैं देखती रह गयी वह बड़ी फुर्ती से झूले पर चढ़ा और देखते ही देखते रमा और उसके साथ जो छोटा बच्चा बैठा था उसे उतार लाया।लाकर रमा को मुझे सोंपते हुए बोला ,"लीजिए आप इसे संभालिए कहीं चोट वोट तो नहीं लगी।और हां आप रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती ।इन फूल से कोमल चेहरे पर आंसू अच्छे नहीं लगते।बस हमेशा मुस्कुराते रहना। मैं एकदम से सकपका गई।पहले कभी भी अपनी इतनी तारीफ और वो भी एक बांके नौजवान से नहीं सुनी थी।एक अजीब सा अहसास था वो । मैं देख रही थी वो कोई मुस्लिम लड़का था।जितनी देर हम दोनों बहनें मेले में रही वो हमारी परछाईं बन कर चल रहा था। मैंने देखा जब हम घर की ओर जा रही थी तब भी हम से थोड़ी दूरी बना कर हमें घर तक छोड़ने गया ।हम दोनों बहनें घर आ गयी । मैंने हवेली के मुख्य दरवाजे की सिटकनी लगायी तब भी वह थोड़ी दूर पर पेड़ के पास खड़ा था।एक अजीब सा खिंचाव महसूस हो रहा था मुझे ।ऐसा लग रहा था जैसे उसकी हल्की नीली आंखें बहुत कुछ कहना चाहती थी। रमा बहुत डर गयी थी उसे किसी तरह सहला कर शांत कराया।शाम का धुंधलका हो गया था ।रात के खाने की तैयारी करने लगी मैं पर मन तो मेरे पास था ही नहीं मन तो वो नीली पनीली आंखें अपने साथ ले गयी थी।जो बहुत कुछ कहना चाहती थी।ये मेरा पहला प्यार या अहसास था ये मुझे नहीं पता ।इतने में दरवाजे की खटखटाहट से मेरी तंद्रा भंग हुई।(क्रमशः)

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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Feb-2022 06:09 PM

बहुत ही रोचक कहानी है

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Monika garg

17-Feb-2022 08:46 PM

धन्यवाद

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Inayat

14-Feb-2022 10:29 PM

अच्छी है स्टोरी

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Monika garg

15-Feb-2022 09:24 AM

धन्यवाद

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Preeta

13-Feb-2022 01:17 AM

वेरी nice...

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Monika garg

13-Feb-2022 01:13 PM

धन्यवाद

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